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शनिवार, 31 जुलाई 2010

विदेश में नौकरी : एक खूबसूरत धोखा !

                            आज कल ही नहीं बल्कि कई महीनों से पढ़ती आ रही हूँ, इस तरह के विज्ञापन:
                कनाडा, दुबई, खाड़ी  देशों में नौकरी के लिए अनपढ़/हाईस्कूल/ग्रेजुएट चाहिए. . बिना वीजा फीस , टिकट आदि का कोई पैसा नहीं. अच्छी तनख्वाह, रहना + खाना मुफ्त. संपर्क करें?  कमीशन वहाँ पहुँचने के बाद दें. और कुछ फ़ोन नंबर.

                       इन विज्ञापनों की हकीकत कोई नहीं जानता, अख़बार को पैसे चाहिए और फिर उनको इससे क्या लेना देना कि इसके पीछे क्या है? एक बहुत बड़ा रैकेट काम  कर रहा है? मेरी मृग मरीचिका कविता उसकी ही अभिव्यक्ति है.
                    यहीं कानपुर के कितने लड़के गरीबी के और बेकारी के मारे इन झांसों में आ जाते हैं कि अच्छा वेतन मिलेगा और खाना रहना मुफ्त तो फिर घर में माँ की बीमारी , बहन की शादी और छोटे भाई बहनों की परवरिश में माँ बाप का हाथ बँटवा लेंगे.  लेकिन उन्हें नहीं मालूम कि वे किस दलदल में फंसे जा रहे हैं. यहाँ से हर विज्ञापन में कुछ न कुछ तो लड़के फँस ही जाते हैं.
                  पिछले दिनों वहाँ मई में गए एक लड़के का  फ़ोन आपने घर आया कि मुझे यहाँ से किसी भी तरह से निकलवा लीजिये. यहाँ पर १२ घंटे काम करवाते हैं और उसके बाद मालिक के घर पर भी काम करना पड़ता है. खाना माँगने पर पिटाई होती है. कई कई दिन भूखा रख कर काम करवाते हैं.
दो महीने से कोई पैसा भी नहीं दिया है. पैसा माँगने पर पिटाई करता है. वीसा और पासपोर्ट सभी मालिक ने अपने कब्जे में कर रखे हैं. इस तरह से तो ये लोग मुझे यहाँ मार डालेंगे. खाने को भी नहीं देते हैं और पैसे भी नहीं देते हैं.
                   यहाँ से गए युवकों को वहाँ बंधुआ मजदूर बनाकर रखा जाता है. देश में फैली बेकारी, भुखमरी और महंगाई ने इतना त्रस्त कर रखा है कि युवकों कि कहीं से भी पैसे मिलने की उम्मीद जगती है तो वे उसी तरफ दौड़ पड़ते हैं. आखिर वे क्या करें? हमारी सरकार तो इतना भी नहीं कर सकती है कि अपने देश कि प्रतिभा और इन गरीबों के लिए इतनी व्यवस्था कर सके कि वे घर छोड़ कर भागें नहीं.
                   जो भी इसको पढ़े कम से कम अपने जानने वालों को अवश्य बताएं इन विज्ञापनों की हकीकत कि ये कितने घातक है? इनकी सोने से मढ़ी भाषा बेचारे मुसीबत के मारे युवकों को आकर्षित कर लेती है. उनके पास ऐसा कोई स्रोत भी नहीं होता है कि वे इसके बारे में किसी से कुछ पता भी कर सकें. सरकार को इस तरह कि एजेंसियों के बारे में पता लगाया जाय और उनके खिलाफ कम से कम जांच तो करवा ही सकती है..
                         मृग मरीचिका में फंसे युवकों के प्रति हम लोग तो सिर्फ आवाज उठा कर जानकारी दे सकते हैं.
विदेश में नौकरी

16 टिप्‍पणियां:

राज भाटिय़ा ने कहा…

रेखा जी आप ने बिलकुल सही रुप मै बताया है इस मृग मरीचिका के बारे, मै भी जब जब भारत आया बस भारतीया बन कर रहा, कॊइ दिखावा नही करता कही बाकी के नोजवान भी मेरी तडक भडक देख कर बाहर जाने का लालच ना क्रे, बहुत लोगो को समझता भी ही, जिन मे बहुत ज्यादा पढे लिखे ओर उच्च पदो पर भी है, सभी को लालच है किसी तरह से विदेश मै सेट हो जाये, जब मै उन्हे समझाता हुं कि अगर सेट होना है तो, सही रुप मै होये इन एजेंटॊ के हाथो मत फ़ंसे...लेकिन कोई नही समझता, ओर यह लोग अपना कारोबार, मकान बेच कर इन एजेंटॊ को सोप देते है, अगर इसी पेसो से भारत मै ही कोई काम धंधा शुरु कर दे तो कितने सुखी हो जाये...लेकिन यह मृग मरीचिका ही है जिस के दिवाने बहुत है

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

बहुत उपयोगी जानकारी के साथ सावधान करती हुई
चेतावनी देती हुई पोस्ट!
--

रश्मि प्रभा... ने कहा…

yah dhokha aaye din chalte hain , aur dhokha khanewale jante samajhte dhokha khate hain .....
aalekh badhiyaa hai

vandana gupta ने कहा…

आजकल सब जानते भी हैं फिर भी इस हसीन धोखे मे फ़ंस जाते हैं……………………बहुत उपयोगी जानकारी दी है।

रेखा श्रीवास्तव ने कहा…

raj jee,

apane bahut sahi kaha, lekin yahan par savaal una becharon ka hai, jo garib hain aur kisi jadoo ki chhadi sa chamatkar samajh kar inake changul men phans jaate hain. phir usa se nikal nahin pate.

रेखा श्रीवास्तव ने कहा…

rashmi jee aur vandana,

isa jaal men phansane vale isase anabhigya hi hote hain tabhi to phans jaate hain.

Shekhar Kumawat ने कहा…

रेखा जी

sahi kaha hai aap ne me bhi ek bar kuch aise hi mod par aa gaya tha jaha mujhe sunhari dunia ka wo hasin sapna dikhaya gaya magar sach kahun aapjese hi kisi sajjan ne mujhe samjhaya or us dhokhe se bachaya

aasha karta hun mere sampark me aane wale har waqti ko ek bar sachet jarurkarunga

मुकेश कुमार सिन्हा ने कहा…

di! sach me aisee mrig marichika me fass kar bahut logo ne apna sab kho diya......bahut pahle ek news aayee thi, Pakistan se bahut saare log Container me bhar kar jaa rahe the........aur fir usme hi wo mar khapp gaye.........uff kya beeta hoga unpar........

lekin fir bhi har koi apne anusaar apni jindagi ko behtar banana chahta hai......aur iss koshish me kuchh log apne pair pe kulhari maar lete hain.........

logo ko sajag hone ki jarurat hai...


ab to Govt. bhi iske liye barabar advertisement nikal rahee hai.......

dhanyawad rekha di!

Udan Tashtari ने कहा…

बहुत जरुरी आलेख. इसे अखबारों के माध्यम से भी प्रसारित करें जन हित में ताकि लोग इस तरह के दलालों के झांसे में न आयें.

राजेश उत्‍साही ने कहा…

रेखा जी केवल चेताने से काम नहीं चलेगा। समस्‍या है रोजगार की। रोजगार होगा तो लोग बाहर नहीं जाएंगे। उस पर अगर हम ध्‍यान दे सकते हैं तो कुछ करें।
दूसरी बात इस तरह के विज्ञापन छापने वाले अखबारों के खिलाफ मुहिम चलाई जानी चाहिए।

شہروز ने कहा…

सहमत !! सही !!

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

सार्थक जानकारी....ऐसे सब्जबाग दिखाए जाते हैं कि बेरोजगार युवक फंस ही जाते हैं ....

परमजीत सिहँ बाली ने कहा…

बहुत बढिया व उपयोगी जानकारी आभार।

वन्दना अवस्थी दुबे ने कहा…

सही है. इस मरीचिका के जल में अच्छे-भले समझदार भी फंसते देखे हैं.

देवेन्द्र पाण्डेय ने कहा…

उपयोगी पोस्ट.
इन भोले-भाले गरीब युवकों को सचेत करना और यदि ले भटकने के कारण फंस चुके हैं तो उन्हें इस हाल से बाहर निकालना सरकार की भी जिम्मेदारी है.

अजय कुमार झा ने कहा…

बहुत ही सही मुद्दा उठाया आपने .....असलियत में ये सरकार की रोजगार नीति की विफ़लता के अलावा विदेशों की चमक दमक के पीछे..दौडने वाली मानसिकता ही इस समस्या का कारण है